ऐसा दो वरदान जिनेश्वर | esa do vardaan jineshwar

ऐसा दो वरदान जिनेश्वर, तुम सम ही बन जाऊँ मैं।
निर्मल परिणति होवे मेरी, मोक्ष महापद पाऊँ मैं।।टेक।।

नर तन पाकर मेरे जिनवर, निज को न पहिचान सका,
क्यों आया हूँ कहाँ है जाना , ये भी न मैं जान सका।
शरण लगा लो मुझको भगवन्, दर्श तेरा कर पाऊँ मैं।।
ऐसा दो…।।१।।

जय जिनेश्वर जय जिनेश प्रभु, जय जिनेन्द्र जयवन्त हो,
जय जिनवाणी जय जिनशासन, उसका भी न अन्त हो।
न आऊँ मैं इस धरती पर, तुम पर बलि बलि जाऊँ मैं।।
ऐसा दो … ।।२।।

पाप-पुण्य में उलझा जीवन, मैं बालक नादान हैं,
नहीं आराधना पूजा चाहूँ, मैं अवगुण की खान हैं।
ऐसा ज्ञानी बना दो भगवन्, सिद्धों से मिल जाऊँ मैं।।
ऐसा दो… ।।३।।