दिन-रात स्वामी | Din raat Swami

दिन-रात स्वामी तेरे गीत गाऊँ |
भावों की कलियाँ चरणे खिलाऊँ ||

तेरी शांत-मूरत मुझे भा गई है।
मेरे नयनों में नजर आ गई है।
मैं अपने में अपने को कैसे समाऊँ,
भावों की कलियाँ चरणे खिलाऊँ ||(1)

मैं सारे जहाँ में कहीं सुख न पाया।
है गम का भरा गहरा दरिया है छाया।
ये जीवन की नैया मैं कैसे तिराऊँ,
भावों की कलियाँ चरणे खिलाऊँ ||(2)

निगोद अवस्था से मानव गति तक।
तुझे लाख ढूंड़ा न पाया मैं अब तक।
कहाँ मेरी मंजिल तुझे कैसे पाऊँ |
भावों की कलियाँ चरणे खिलाऊँ ||(3)

यही आस जिनवर शरण पाऊँ तेरी |
मिट जाये मेरी ये भव-भव की फेरी।
शरण दो, तुझे नाथ शीश नवाऊँ |
भावों की कलियाँ चरणे खिलाऊँ ||(4)

Artist - अज्ञात

Singer: Amit Ji Indore

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