दिन आयो-दिन आयो-दिन आयो, आज जन्मकल्याणक दिन आयो ॥ टेक॥
झूमे आज नर-नारी ऐसे हरषायें, मारो तन मनवा प्रभु के गुण गाये।
रङ्ग लाग्यो - रङ्ग लाग्यो - रङ्ग लाग्यो, थारी भक्ति में म्हारो प्रभु रङ्ग लाग्यो ।।1।।
तन भीगे, मन भीगे, भीगे मोरो आतम, प्रभु ने बतायो आतम परमातम।
रङ्ग लाग्यो - रङ्ग लाग्यो - रङ्ग लाग्यो, थारी भक्ति में म्हारों प्रभु रङ्ग लाग्यो ।।2।।
सोलह सपने माँ ने देखे, उनका फल राजा से पूछा।
रानी तेरे गर्भ से पुत्र जन्म लेगा, तीन लोक का नाथ बनेगा।
हरषायो हरषायो हरषायो माता, शिवादेवी का मन हरषायो ।।3।।
सौरीपुर में जन्म हुआ है तीन भुवन आनन्द हुआ है।
इन्द्र-इन्द्राणी मिल खुशियाँ मनावें, मङ्गलकारी गीत सुनावें।।
फल पायो फल पायो फल पायो, शिवादेवी माता ने शुभ फल पायो ।।4।।