देवदर्शन | Devdarshan

मेरे प्रभुवर अच्छे हैं ।
मैं निश-दिन शीश झुकाता हूँ।
मेरे मुनिवर सच्चे हैं।
मैं इनकी सेवा करता हूँ।।
जिनवाणी माँ ही माता है,
जो मेरे मन को भाती है।।
इनको शरण में जो भी आता।
परम सुखी वह हो जाता।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी