देखो भाई ! आतम देव विराजै |
इस ही हूठ हाथ देवल में, केवल रुपी राजै || टेक ||
अमल उदास जोतिमय जाकी, मुद्रा मंजुल छाजै |
मुनि जन पूजन अचल अविनाशी, गुन बरनत बुधि लाजै || १ ||
पर संजोग अमल प्रतिभासत, निज गुण मूल न त्याजै |
जैसे फटिक पाखान हेत सों, स्याम अरु दुति साजै || २ ||
सोSहं पद ममता सों ध्यावत, घटा ही में प्रभु पाजैं |
‘भूधर’ निकट निवास जासु को, गुरु बिन भरम न भाजै || ३ ||
Artist : कविवर पं. भूधरदास जी