देखने आया चेहरा आपका |dekhne aaya chehra apka

देखने आया चेहरा आपका, अन्तर का वो निधान दिखे।
जब-जब देखें भगवन तुमको, मुझे मेरा भगवान दिखे।।टेक।।

तुम तो हुए उस पार प्रभुजी, मैं जग में क्यों भटक रहा।
पास तुम्हारे अब आने को, धीरे-धीरे बढ़ रहा।।
संग तुम्हारे आ बैठूं मैं, ऐसा मेरा पुरुषार्थ जगे।।
जब-जब देखें भगवन्…।।१।।

जिस ध्रुवता से आप बने हो, वैसी अपनी जान गया।
स्व से मैं कुछ अलग नहीं हूँँ, ऐसा अब पहिचान गया।।
जिसमें तीनों लोक झलकते, ऐसा केवलज्ञान मिले।।
जब-जब देखें भगवन्…।।२।।

द्वार तुम्हारे आ जाए तो, कर्म प्रवृत्ति गल जाती है।
अशुभ भाव की बात दूर है, शुभ प्रवृत्ति भी नश जाती है।।
शुद्धि के भी अवसर आते, हम सब उसकी राह चलें।।
जब-जब देखें भगवन्…।।३।।।

Singer: @Asmita_Jain

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