देखे धन्य घरी, आज पावापुर महावीर ॥ टेक ॥
गौतमस्वामि चंदना मेंढ़क , श्रेणिकसुखकर धीर ॥ देखे. ॥ १ ॥
चार ओर भवि कमल विराजैं, भक्ति फूल सुख नीर ॥ देखे. ॥ २।।
‘द्यानत’ तीरथनायक ध्यावै, मिट जावै भव भीर ॥ देखे. ॥ ३ ॥
सोर्स: द्यानत भजन सौरभ
रचयिता: पंडित श्री द्यानतराय जी