देख तेरी पर्याय की हालत | Dekh teri paryay ki halat

देख तेरी पर्याय की हालत, क्या हो गई भगवान।
तू तो गुण अनन्त की खान।।
चिदानन्द चैतन्यराज क्यों अपने से अनजान।
तुझमें वैभव भरा महान।।टेक

बड़ा पुण्य अवसर यह आया, श्री जिनवर के/का दर्शन पाया।
जिनने निज को निज में ध्याया, शाश्वत् सुखमय वैभव पाया।।
इसलिए/ इसीलिए श्री जिन कहते हैं, कर लो भेद-विज्ञान ॥१॥

तन-चेतन को भिन्न पिछानो, रत्नत्रय की महिमा जानो,
निज को निज पर को पर जानो, राग भाव से निवृत्ति लेलो।
सप्त तत्त्व की यही प्रतीति देगी मुक्ति महान ॥२॥

3 Likes