चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू।
अनन्त शक्ति का धारक है तू ॥
सिद्धों का लघुनन्दन कहा, मुक्तिपुरी का नायक है तू।
चार कषायें, दुःख से भरी, तू इनसे दूर रहे,
पापों में, जावे न मन, दृष्टि निज में ही रहे।
चलो चलें अब मुक्ति की ओर,
पञ्चम गति के लायक है तू ॥ चेतन है तू…
श्री जिनवर से राह मिली, उस पर सदा चलना,
माँ जिनवाणी शरण सदा, बात हृदय रखना।
मुनिराजों संग केलि करे-2,
मुक्ति वधु का नायक है तू॥चेतन है तू…
Artist: डॉ. विवेक जी जैन, छिंदवाड़ा