चलता चल | Chalta Chal.. mokshmarg pr dhalta chal

चलता चल भाई,चलता चल
मोक्षमार्ग पर ढलता चल

रे! व्यवहार मार्ग - निर्देशक
तू निज - बल से बढ़ता चल
चलता चल…
शान्ति प्रपूरित तू अमृत - घट
तेरी जीवन यात्रा बेहद
जो तेरे पथ को रोके तू
उसका मद - दल दलता चल
चलता चल…
अगणित शक्ति-निलय तू चेतन
तू भरचक आनन्द निकेतन
जन्म-मृत्यु का स्पर्श न तुझको
निर्भय निज-पद धरता चल।
चलता चल …
तेरा जीवन ज्ञान सुधा है
आनन्दामृत पान सदा है
कहता दुखी अरे! अपने को
बस इस भ्रम को हरता चल।
चलता चल …
ये आंधी - तूफान जगत के
प्रलयंकर पवमान विकट से
अरे! ज्ञान के वज्र किले से
केवल उन्हे निरखता चल
चलता चल …
तु धुव निश्चल तीर्थ अरे है
परिणति वाम परिक्रमा दे है
बन्ध-मोक्ष का दोष न तुझको
परिणति-परता हरता चल
चलता चल …
परम भागवत् पुरुष पुरातन
हे अनंत अपराजित तप बल
तू है मोह शत्रु का मरघट
उसके मद को दलता चल
चलता चल…
तू अखण्ड संसार खण्ड है
तू दिनकर संसार अंध है
रे! अनन्त संसार अन्त ले
शिवमग में डग भरता चल
चलता चल …
तुझे कर्म की छाँह नहीं है
कुछ भी करना राह नहीं है
तू भरचक आनन्द टीला है
केवल यह हां भरता चल
चलता चल…
तुझे पुण्य वरदान नहीं रे!
तुझे पाप अभिशाप नहीं रे!
तू बेअसर अरे नटनागर
सुमति नटी संग नटता चल।
चलता चल …
चार गति पर तू अगति है
अरे असंख्य प्रदेश क्षितिज है
उदय अस्त बिन तू प्रचण्ड रवि
जग आलोकित करता चल
चलता चल …
बोधि धाम आनन्द राम तू
है समग्न भगवान अरे! तू
तुझे भुलावा देती जड़ता
हीरा कांच परखता चल।
चलता चल …
होना तेरा काम नहीं रे!
खोना तेरा नाम नहीं रे!
परमभाव के गहन उदधि तू
आनन्द रंग उछलता चल।
चलता चल …

Artist: श्री बाबू जुगलकिशोर जैन ‘युगल’ जी
Source: Chaitanya Vatika

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