चाहे अंधियारा हो, या दूर किनारा हो,
आवाज हमें देना, हम दौड़े आएँगे ।।१।।
चाहे गरमी सरदी हो,
या बिजली चमकती हो
आवाज हमें देना,
हम दौड़े आएँगें ।।२।। चाहे अंधियारा…
हम मंदिर जाएँगे, हम पूजा रचाएंगे,
जिनवाणी सुनने को, हम दौड़े आएँगे ।।३।। चाहे अंधियारा…
हम शिविर लगाएँगे,
अज्ञान नशाएँगे,
जिनवाणी पढ़ने को,
हम दौड़े आएँगे ।।४।। चाहे अंधियारा…
हम मुनि बन जाएँगे, निज ध्यान लगाएँगे,
आवाज नहीं देना, हम कभी नहीं आएँगे ।।५।। चाहे अंधियारा …
हम मुक्ति पाएँगे,
हम सिद्ध बन जाएँगे,
आवाज नहीं देना,
हम कभी नहीं आएँगे ।।६।। चाहे अंधियारा हो…
Artist: बाल ब्र. श्री रवीन्द्रजी ‘आत्मन्’
Source: बाल काव्य तरंगिणी