बोधाष्टक | Bodhaastak

"बोधाष्टक"

[ १ ]

जिनने की मां की विराधना, वे स्वयं दुःख पायेंगे ।
बांधी पाप की गठड़ी वे, जन्म-जन्म पछतायेंगे ।।

[ २ ]

जिनवाणी की विराधना, भगवान अपमान है ।
निज आत्म दर्शन करे, गुरु कुन्द का फरमान है ।।

[ ३ ]

करो न मां की विराधना, अन्य को करने न दो ।
धर्म रक्षक तुम बनो, धर्म भक्षक मत बनो ।।

[ ४ ]

होवे न मां की विराधना, करे सभी ज्ञानामृत पान ।
लड़ो न आपस में कभी, करो स्व-पर कल्याण ।।

[ ५ ]

मांग क्षमा मां से तुम, करो सत्य श्रद्धान ।
करो सेवा जिनवाणी की, करने स्व-पर-कल्याण ।।

[ ६ ]

मां से लेकर ज्ञान पूंजी हम, करें ज्ञान व्यापार ।
जीतें मोह बली को हम, करें स्व-पर-उद्धार ।।

[ ७ ]

मां से मिलेगी सुदृष्टि हमको, हो जावेगा सच्चाज्ञान ।
ज्ञान-ज्ञान को जानले, बन जावे स्वयं भगवान् ।।

[ ८ ]

मां है दर्पण हम-तुम-सबका ।
लोक-अलोक अरु सिद्ध जगत का ।।

( दोहा )

यह बोधाष्टक पाठ को पढ़े जो देकर ध्यान ।
करे न मां की विराधना, करले निज कल्याण ।।

रचयिता : श्री प्रमोद कुमार जैन, खंडवा

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