भक्ति के उठे सरगम | Bhakti ke uthe sargam

भक्ति के उठे सरगम, मैं गाऊँ तेरे गुण,
मेरे दिल में लगन, आये दरस मिलन,
प्रभु चरणों में मन है मगन।।टेक।।

बीच भंवर में नाव हमारी पार करो तुम केवल ज्ञानी।
मैं आऊ प्रभु-चरणन में, मेरे मन में उठी है उमंग।।

नर-नारी मिल मंगल गायें, भक्ति के नवदीप जलायें।
सात सुरों की अंजलि गावे, भव-भव के सब कर्म छुड़ावें।।

मन मन्दिर में आप विराजो, अन्तर में प्रभु ज्ञान जगा दो।
भव-भव के सब कर्म छुड़ादो, विनती प्रभुजी मेरी सुन ले।।

1 Like