भाई ! ज्ञानी सोई कहिए |
करम उदय सुख - दुःख भोगे तैं, राग विरोध न लहिये || टेक ||
कोऊ ज्ञान क्रिया तैं कोई, शिवमार्ग बतलावै |
नय निहचै व्यवहार साधिकै, दोऊ चित्त रिझावै || १ ||
कोऊ कहै जीव छिनभंगुर, कोई नित्य बखानै |
परजय दरवित नय परमानै, दोऊ समता आनै || २ ||
कोई कहै उदय है सोई, कोई उद्यम बोलै |
‘घानत’ स्यादवाद सु तुला में, दोनों बातें तौलैं || ३ ||
Artist- पं. घानतराय जी