भाई ! अब मैं ऐसा जाना | Bhai ab main aesa jana

भाई ! अब मैं ऐसा जाना |
पुद्गल दरब अचेत भिन्न हैं, मेरा चेतन बाना || टेक ||

कलप अनन्त सहत दुःख बीते, दुःख कौं सुख कर माना |
सुख - दुःख दोऊ कर्म अवस्था, मैं कर्मन तैं आना || १ ||

जहां भोर थी तहां भई निशि, निशि की ठौर बिहाना |
भूल मिटी जिन पद पहिचाना, परमानन्द निधाना || २ ||

गूंगे का गुड़ खाय कहैं किमि, यद्यपि स्वाद पिछाना |
‘घानत’ जिन देख्या ते जानै, आत्मज्ञान विज्ञाना || ३ ||

Artist- पं. घानतराय जी