बहती आनंद रस की धारा | Behti Anand Ras ki Dhara

बहती आनंद रस की धारा माता अंतर में…

गर्भ क्या माँ का ये तो मंगल जिनालय ।
सिद्ध पुरी के स्वामी का ये आलय ॥।
मानो मुक्ति गर्भ में आई हो…
माता के उर में …

धन्य है त्रिभुवन माता भोभा है न्यारी ।
भाचि इन्द्राणी माँ की लेत बलिहारी ॥।
लिया चिंतामणी अवतार हो…
लिया चिंतामणी अवतार माता के उर में …

न्हवन कराओं माँ का आज सखी प्यारी ।
झलके है चैतन्य दर्पण मात छवि प्यारी ।

चमकें रत्नत्रय का हार… हो …
चमकें रत्नत्रय का हार माता के उर में …
दशदिश छाये खुशियाँ बाजे भाहनाई ।

जन्म महोत्सव की भाभ घड़ी आई ॥
जन्मी चेतन परणति आज हो…
जन्मी चेतन परणति आज माता के उर में…

रचयिता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा

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