बसि, संसार में मैं पायो दुःख अपार | Basi, sansar me main paayo dukh apar

बसि संसार में मैं पायो दुःख अपार |
मिथ्याभाव हिये धरयो, नहिं जानो सम्यक चार || टेक ||

काल अनदिहिं हौं रुल्यौ हो, नरक निगोद मंझार |
सुरनर पद बहुत धरे पद, पद प्रति आतम धार || १ ||

जिनको फल दुखपुञ्ज है हो, ते जानें सुखकार |
भ्रम मद पीय विकल भयो नहिं, गह्यो सत्य व्योहार || २ ||

जिनवाणी जानी नहीं हो, कुगति विनाशन हार |
‘घानत’ अब सरधा करी, दुख मेटि लह्यो सुखसार || ३ ||

Artist- पं. घानतराय जी