बरसात | Barsat(Rain)

(एक दिन बरसात हो रही थी, नीलू और उसकी सखियाँ गा रही थीं ।)

बादल गरजा, घम घम घम घम
बरसा पानी, छम छम छम छम
बिजली चमकी चम चम चम
लगें कांपने, हम हम हम
बनता कीचड़ घप घप घप
बच्चे चलते, छप छप छप

नीलू - तुम बैठे क्‍यों डरते हो ?
आनंद क्‍यों न करते हो ?
आनंद करते, हम हम हम
फिर क्यों डरते, तुम तुम तुम

पीलू - बरसा पानी आई बाढ़
देखो कितने उखड़े झाड़
कितनी चींटी डूब रही हैं
चिड़ियाँ कैसे काँप रही हैं
मेंढ़क मरते, मरते जीव
सो हिंसा से दूर सदीव
हम न खेलें पानी में
शिक्षा दी थी नानी ने !

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी