बरस रहा अमृत रस अँगना । Baras Raha Amrit Ras

बरस रहा अमृत रस अँगना।
गर्भ पधारे प्रभु जब माता उर माँ ।।टेक।।

गूंज उठा नभ सारा, प्रभु जयकार से।
सुरपति उत्सव कीना, हर्ष अपार है।।

गाएँ शची गीत मंगल, गाएँ कोई फुलना ।।1।।

स्वर्ग सी सजी है नगरी, शोभा सुहावनी।
बाल प्रभु की मुद्रा, लागे मन भावनी।।

पुण्य का प्रताप सारा, प्रभु तेरा है ना ।।2।।

श्रद्धा चूनर ओढ़ सब, सखी आओ री।
समकित सुगंधि पुष्प सब, बरसायो री।।

रोम-रोम नर्तन करे, बाज रहे कंगना ।।3।।

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