बंदर |Bandar(Monkey)

एक बंदर था बड़ा दुखी,
टी.व्ही, लेकर होर्ऊँ सुखी।
टी.व्ही. देखने निकल पड़े,
सुख दूँढ़ने निकल पड़े।।
समवशरण में श्री जिनदेव,
उनको देखा परम सुखी।

टी.व्ही. न उनके पास है,
फिर भी कैसे अनंत सुखी।।
दिव्यध्वनि तब वहाँ खिरी,
हर आतम है परमातम।
पहचानो तो होरऊँ सुखी।।
वृक्षी के नीचे मिले मुनि,
उनको देखा लगे सुखी।
स्वानुभव से हुए सुखी।।
भगवान देखे आत्मा,
मुनिवर देखे आत्मा।

शास्त्र बतावें आत्मा,
आत्मा से हों सभी सुखी।।
बंदर सोचे अंदर में,
आतम देखा अंदर में।
अनुभवता हूँ आत्मा,
बन जाऊँगा परमात्मा।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी