बहता आनंद रस का झरना,
अमृत रस बरसा हर अँगना,
आज जन्मे हैं आदि ललना ।।टेक।।
सुरपति उत्सव कीनो, खुशियाँ अपार हैं।
हर्ष से झूम रहा, इंद्र परिवार है।।
शची आनंद उर न समायो, मंगलकारी नृत्य रचायो,
आज जन्मे हैं आदि ललना… होsss…।।1।।
बाल प्रभु का रूप, सुन्दर सुहावना।
नेत्र हज़ार लखें, इंद्र मन भावना।।
पाण्डुक शिला पर ले जाएं, प्रभु का मंगल न्हवन करावें।
आज जन्मे हैं आदि ललना…होsss…।।2।।
अंतिम भवधारी, प्रभुजी पधारे हैं।
जागे भाग्य भव्यों के, खुले मुक्ति द्वारे हैं।।
शाश्वत सुख का पथ दिखलाने, मानो सिद्धालय ले जाने।
आज जन्मे हैं आदि ललना…होsss…।।3।।