आया अवसर आया सुहाना कि देखो जन्मोत्सव है मनाना
कि (३) नगरी में वीर जन्में हैं, त्रिशला देवी लाल जन्मे हैं।।टेक।।
रत्नों की वर्षा करके, सौधर्म हर्षाये
इन्द्र-इन्द्राणी मिलकर मंगल नृत्य रचावे
देखो सारी नगरी की छटा ही निराली है,
घर-घर में देखो आज बाजत बधाई है;
अवसर आया सुहाना सुहाना सुहाना।।१।।
पांडुक शिला ले जाकर, मंगल न्हवन रचाये,
एक हजार आठ कलशों से, मंगल कलश दुराये
चारों ही दिशाओं में खुशियां ही छाई हैं।
घर-घर में देखों आज बाजत बधाई है,
अवसर आया सुहाना सुहाना सुहाना ।।२।।