‘अरिहंत’ पिताजी तेरे, ‘जिनवाणी’ माता तेरी,
मेरे भैया! ‘अरिहंत’ सहज है होना ।
‘प्रभु सिद्ध’ पिताजी तेरे, ‘जिनवाणी’ माता तेरी, |
मेरे भैया ! ‘प्रभु सिद्ध’ सहज है होना ।
‘आचार्य’ पिताजी तेरे, ‘जिनवाणी’ माता तेरी, |
मेरे भैया ! ‘आचार्य’ सहज है होना ।।
‘उपाध्याय’ पिताजी तेरे, ‘जिनवाणी’ माता तेरी, |
मेरे भैया ! ‘उपाध्याय’ सहज है होना ।
‘मुनिराज’ पिताजी तेरे, ‘जिनवाणी’ माता तेरी,
मेरे भैया ! ‘मुनिराज’ सहज है होना ।
‘जिनशासन’ धर्म तुम्हारो, निज आतमको संभारो,
मेरे भैया ! ‘जिन धर्म’ सहज समझना