अरे ! हाँ चेतो रे भाई । Aree Han Cheto Re Bhai

अरे ! हाँ चेतो रे भाई

(राग ख्याल)

अरे! हाँ चेतो रे भाई ||
मानुष देह लही दुलही, सुघरी उघरी सतसंगति पाई । । १ ।।
जे करनी वरनी करनी नहिं, ते समझी करनी समझाई ।। २ ।। यों शुभ थान जग्यो र ज्ञान, विषै विषपान तृषा न बुझाई || ३ || पारस पाय सुधारस ‘भूधर’, भीखके मांहि सु लाज न आई || ४ ||

रचयिता: कविवर श्री भूधरदास जी

Source: आध्यात्मिक भजन संग्रह (प्रकाशक: PTST, जयपुर )