आनन्द अवसर आयो, मुनिवर दर्शन पायो | anand avsar aayo munivar darshan payo

आनन्द अवसर आयो, मुनिवर दर्शन पायो,
परम दिगम्बर सन्त पधारे, जीवन धन्य बनायो-बनायो॥

पुण्य उदय है आज हमारे, नेमीश्वर मुनिराज पधारे;
श्री मुनिवर के दर्शन करके, शुद्ध हुए हैं भाव हमारे ।
जीवन सफल बनायो… बनायो ॥१॥

वरदत्त राजा हर्षित भारी, आहार दान की है तैयारी;
निराहार चेतन राजा के, अनुभव से है आनन्द भारी।।
मुनिवर को पड़गाह्यो… पड़गाह्यो ॥२ ।।

हे स्वामी तुम यहाँ विराजो, उच्चासन पर आप विराजो;
मन वच-तन आहारशुद्ध है, भाव हमारे अति विशुद्ध हैं।
अपने चरण बढ़ाओ… बढ़ाओ ॥३॥

दोष छियालिस मुनिवर टालें, अन्तराय बत्तीसों टालें;
दोषरहित निज के अनुभव से, चतुरगति का भ्रमण निवारें ।
तप को निमित्त बनायो… बनायो ॥४॥

मुनिवर अब आहार करेंगे, निज चैतन्य विहार करेंगे;
क्षायिक श्रेणी आरोहण कर, मुक्तिपुरी का राज वरेंगे।
निज में निज को रमायो…रमायो ५ ॥