अमृत से गगरी भरो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे।
खुशी-खुशी मिल के चलो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे। टेक॥
सब साथी मिल कलश सजाओ, मङ्गलकारी गीत सुनाओ;
मन में आनन्द भयो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ।।१।।
इन्द्र इन्द्राणी मिल हर्ष मनावें, प्रभु-चरणों में शीश झुकावें;
प्रभुजी की छवि निरखो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥२ ।।
सुवर्ण कलश प्रभु उदकनि धारा, अङ्गे न्हावे जिनवर प्यारा;
स्वामी जगत को खरो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥३॥
हे सुखकारी सब दु:खहारी, सेवा जिनकी प्यारी-प्यारी;
लेकर ‘सरस’ को चलो, कि न्हवन प्रभु आज करेंगे ॥४॥