आकुल रहित होय इमि | Akul Rahit Hoye Emi

आकुल रहित होय इमि निशिदिन, कीजे तत्त्व विचारा हो।।

को मैं कहा रूप है मेरा, पर है कौन प्रकार हो ।।(1)

को भव-कारण बन्ध कहा, को आस्रव रोकनहारा हो।
खिपत कर्म बन्धन काहे सों, थानक कौन हमारा हो।।(2)

इमि अभ्यास किये पावत है, परमानन्द अपारा हो।
‘भागचन्द’ यह सार जान करि, कीजै, बारम्बारा हो।।(3)

Artist : Pt. Shri Bhagchand Ji

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