अहो दोऊ रंग भरे खेलत होरी, अलख अमूरति की जोरी || टेक ||
इतमैं आतम राम रंगीले, उतमैं सुबुद्धि किसोरी |
या कै ज्ञान सखा संग सुन्दर, बाकै संग समता गोरी || १ ||
सुचि मन सलिल दया रस केसरि, उदै कलस में घोरी |
सुधी समझि सरल पिचकारि, सखिय प्यारी भरि भरि छोरी || २ ||
सत-गुरु सीख तान धुरपद की, गावत होरा होरी |
पूरव बंध अबीर उड़ावत, दान गुलाल भर झोरी || ३ ||
‘भूधर’ आजि बड़े भागिन, सुमति सुहागिन मोरी |
सो ही नारि सुलछिनी जग में, जासौं पतिनै रति जोरी || ३ ||
Artist : कविवर पं. भूधरदास जी