आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।
वाह! आत्मा बड़ा मजेदार
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार ।
परमेष्ठी की जय-जयकार ।
अ से अरंहतों को ध्याया।
चार घातियां कर्म भगाया।
छियालीस गुण के भंडार।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।।
स से सब सिद्धों को ध्याया।
सब कर्मो को दूर भगाया।
अष्ट गुणों के हो भंडार।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।।
आ से आचार्यों को ध्याया ।
मुनि संघ नायक कहलाया ।
छत्तीस गुण के हो भंडार।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।।
ऊ से उपाध्याय को ध्याया।
पठन और पाठन करवाया।
पच्चीस गुण के हो भंडार।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।।
स से साधु मुनि को ध्याया।
आतम में ही चित्त लगाया।
अट्ठाइस गुण के भंडार।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार।
वाह! आत्मा बड़ा मजेदार ।
आहा! आत्मा बड़ा मजेदार ।
परमेष्ठी की जय-जयकार ।
रचयिता:- आदित्य शास्त्री पिड़ावा, अमन शास्त्री खनियाधाना