ऐसा ध्यान लगावो भव्य जासौं, सुरग मुकति फल पावोजी |
जामैं बंध परै नाहिं आगैं, पिछले बंध हटावोजी || टेक ||
इष्ट-अनिष्ट कल्पना छोड़ो, सुख दुःख एक हि भावोजी |
परवस्तुनि सों ममत निवारो, निज आतम लौ ल्यावोजी || १ ||
मलिन देह की संगति छूटै, जामन-मरन मिटावोजी |
शुद्ध चिदानंद ‘बुधजन’ ह्वै कै, शिवपुर वास बसावोजी || २ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी