अब विषयों में नाहीं रमेंगे | ab vishayon me naahin ramenge

अब विषयों में नाहीं रमेंगे, चिदानन्द पान करेंगे।
फिर चहुँगति में नाहीं रुलेंगे/भ्रमेंगे, निजानन्द धाम रहेंगे ।।टेक।।

मैं नहिं तन का, तन नहिं मेरा, चेतनभाव/ज्ञायकभाव में मेरा बसेरा।
अब भेद-विज्ञान करेंगे… चिदानंद पान करेंगे ।।1।।

विषयों का रस विष का प्याला, चेतन का आनन्द निराला।
अब ज्ञान में ज्ञान लखेंगे… चिदानन्द पान करेंगे ।।2।।

ज्ञान में है ज्ञायक प्रभु मेरा, ज्ञायकभाव में ज्ञान का डेरा।
अब क्षायिक श्रेणी चढ़ेंगे… चिदानन्द पान करेंगे ।।3।।

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