आए श्रद्धा में भगवान आज मैं धन्य हुआ | Aaye Shraddha me Bhagwan Aaj me Dhany hua

आये श्रद्धा में भगवान,
आज मैं धन्य हुआ अनुभव में आतम राम,
आज मैं धन्य हुआ

तेरी अस्ति मेरी बस्ति, मेरी अस्ति तेरी बस्ति ऐसी करूं प्रभु की भक्ति,
आज लगा दूँ सारी शक्ति निज में पाया विश्राम, आज मैं धन्य हुआ।

सुरपति जिनको करते वन्दन, जो हैं सिद्धों के लघुनन्दन निज स्वभाव के हैं अभिलाषी, मुक्ति पुरी के हैं प्रत्याषी मिला सुख से भरा गोदाम
आज मैं धन्य हुआ।

कण कण को जी भर भर देखा, पाया नहीं मैं सुख की रेखा हे जिनवर जब तुम्हें निहारा, समता रस की बह गई धारा भव भ्रमण में लगा विराम,
आज मैं धन्य हुआ।

समकित का संगीत सुहाया, साधन साध्य स्वयं में पाया। तुम जैसा भगवंत मिला है, मुक्तिपुरी का पंथ मिला है। शुद्धात्म लिया पहिचान,
आज मैं धन्य हुआ।

वीतरागता की ये मस्ति, नहीं समझना इसको सस्ती ज्ञायक भाव की अदभुत मस्ति, नहीं समझना इसको सस्ती मैं भी हूँ सिद्ध समान,
आज मैं धन्य हुआ।

पं० संजीव जैन, उस्मानपुर

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