आत्म चिंतन का ये समय | Aatm chintan ka ye samay

आत्म चिंतन का ये समय आया ।
पाके नरतन क्या खोया क्या पाया ।। टेक ।।

हम जिसे ज्ञान-ज्ञान कहते हैं ।
मन तो इन्द्रियों में है भरमाया ।। १ ।।

देखो पर्याय तो है क्षणभंगुर ।
फिर भी पर्यायों में तू इतराया ।। २ ।।

तू तो टंकोत्कीर्ण ज्ञायक है ।
बस यही तू समझ नहीं पाया ।। ३ ।।

एक क्षण निज में अब ठहर जाओ ।
बस यही आख़री समय आया ।। ४ ।।

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