आतम अनुभव करना रे भाई | Aatm anubhav karna re, Bhai

आतम अनुभव करना रे भाई,
जबलौं भेद ज्ञान नहिं उपजै, जनम मरण दुःख भरना रे || टेक ||

आगम पढ़ नवतत्व बखानै, व्रत तप संजम धरना रे |
आतम ज्ञान बिना नहीं कारज, जोनी संकट परना रे || १ ||

सकल ग्रन्थ दीपक हैं भाई, मिथ्यातम के हरना रे |
कहा करै ते अन्ध पुरुष को, जिन्हैं उपजना मरना रे || २ ||

‘घानत’ जे भवि सुख चाहत हैं, तिनको यह अनुसरना रे |
सोSहं ये दो अक्षर जप कै, भव जल पार उतरना रे || ३ ||

Artist- पं. घानतराय जी

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