आओ जिन मंदिर में आओ-२
श्री जिनवर के दर्शन पाओ,
जिन शासन की महिमा गाओ…
आया-आया रे अवसर आनन्द का ॥टेक॥
हे जिनवर तव शरण में, सेवक आया आज।
शिवपुर पथ दरशाय के, दीजे निज पद राज।।
प्रभु अब शुद्धातम बतलाओ, चहुँगति दु:ख से शीघ्र छुड़ाओ, दिव्य-ध्वनि अमृत बरसाओ,
आया-प्यासा मैं सेवक आनन्द का…२ ।।१।।
जिनवर दर्शन कीजिये, आतम दर्शन होय।
मोह महातम नाशि के, भ्रमण चतुर्गति खोय।।
शुद्धातम को लक्ष्य बनाओ, निर्मल भेद-ज्ञान प्रकटाओ,
अब विषयों से चित्त हटाओ,
पाओ-पाओ रे मारग निर्वाण का… ।।२।।
चिदानन्द चैतन्यमय, शुद्धातम को जान।
निज स्वरूप में लीन हो, पाओ केवलज्ञान।।
नव केवल लब्धि प्रकटाओ, फिर योगों को नष्ट कराओ, अविनाशी सिद्ध पद को पाओ,
आया-आया रे अवसर आनन्द का… ।।३।।