आओ जिनमन्दिर में आओ, श्री जिनवर के दर्शन पाओ।
जिनशासन की महिमा गाओ, आया आया रे अवसर आनन्द का ।।
हे जिनवर तव शरण में, सेवक आयो आज।
शिवपुर-पथ दरशाय के, दीजे निज पद राज।।
प्रभु अब शुद्धातम बतलाओ चहुँगति दुख से शीघ्र छुड़ाओ।
दिव्यध्वनि अमृत बरसाओ, आया प्यासा मै सेवक- आनन्द का।।१ ।।
जिनवर दर्शन कीजिए, आतम दर्शन होय।
मोह-महातम नाशि के, भ्रमण चतुर्गति खोय।।
शुद्धातम को लक्ष्य बनाओ, निर्मल भेदज्ञान प्रगटा।
अब विषयों से चित्त हटाओ, पाओ पाओ रे मारग निर्वाण का।।२।।
चिदानंद चैतन्यमय, शुद्धातम को जान।
निज स्वरूप में लीन हो पाओ केवलज्ञान।
नव केवललब्धि प्रगटाओ, फिर योगों को नष्ट कराओ
अविनाशी सिद्धपद को पाओ, आया आया रे अवसर आनन्द का।।३।।