आज आदीश्वर जन्मे हैं-२
श्रद्धा और उमंग से सारी धरती बोली है।
आज आदीश्वर जन्मे हैं-२॥ टेक॥
इन्द्र आसन कम्पाएं, देवियाँ नृत्य कराये,
नगर में धूम मची है, श्वेत ऐरावत आये।
खुशी से भर गये चितवन, मिला मरुदेवी का नन्दन,
छत्र और चंवरढुले हैं, छवी लगती मन भावन।
तो ऽ ऽ चेत सुदी तेरस की घड़िया अतिशुभवन्ती है,
आज आदीश्वर जन्मे हैं-२ ॥१॥
क्षीरोदधिनीर भराया, प्रभु अभिषेक कराया,
नगाड़े बजने लगे हैं, नृत्य ताण्डव रचवाया।
शचि फूली न समाये, रत्न आभूषण लाये,
पलने प्रभु झूल रहे हैं, हंसी होठों पर आई।
तो ऽ ऽ रत्नत्रय की बगिया में ये फूल बसन्ती है,
आज आदीश्वर जन्मे हैं-२ ॥२॥