आई आई देखो आई, नगरी में प्रतिष्ठा आई
तीर्थंकर जन्म की घड़ी रे, हर्ष की घड़ी ये आ गई रे
त्रिभुवन के नाथ आएं, सुर नर गुणगान गाऐं
रत्नों और पुष्पों की झड़ी रे, हर्ष, हर्ष की घड़ी रे
आई - आई …
अद्भुत है, लाल माई, नरको में भांती हाई
तीर्थंकर जन्म की घड़ी रे, धन्य धन्य ये घड़ी रे
आई - आई …
तेजवान ज्ञानवान, जिनशिशु हैं, पुण्य वान महिमा
महान बाल की है, तीर्थंकर सुतबाल की रे
आई - आई …
दैवीय बाद्ध बजें, इंद्र भाची नृत्य करें
तीर्थंकर जन्म की घड़ी रे, हो रही प्रभावना बड़ी रे
आई - आई …
रचयिता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा