विनय पाठ-2 (सफल जन्म) | Vinay Path-2 (Safal janm)

सफल जन्म मेरा हुआ, प्रभु दर्शन से आज।
भव समुद्र नहिं दीखता, पूर्ण हुए सब काज ॥(1)

दुर्नेिवार सब कर्म अरु, मोहादिक परिणाम।
स्वयं दूर मुझसे हुए, देखत तुम्हें ललाम ||(2)

संवर कर्मों का हुआ, शान्त हुए गृह जाल।
हुआ सुखी सम्पन्न मैं, नहिं आये मम काल ||(3)

भव कारण मिथ्यात्व का, नाशक ज्ञान सुभानु।
उदित हुआ मुझमें प्रभो, दीखे आप समान ||(4)

मेरा आत्मस्वरूप जो, ज्ञानादिक गुण खान।
आज हुआ प्रत्यक्ष सम, दर्शन से भगवान ||(5)

दीन भावना मिट गई, चिन्ता मिटी अशेष।
निज प्रभुता पाई प्रभो, रहा न दुख का लेश॥(6)

शरण रहा था खोजता, इस संसार मँझार।
निज आतम मुझको शरण, तुमसे सीखा आज ||(7)

निज स्वरूप में मगन हो, पाऊँ शिव अभिराम।
इसी हेतु मैं आपको, करता कोटि प्रणाम ||(8)

मैं वन्दों जिनराज को, धर उर समता भाव।
तन-धन-जन-जगजाल से, धरेि विरागता भाव ||(9)

यही भावना है प्रभो, मेरी परिणति माहिं।
राग-द्वेष की कल्पना, किंचित उपजे नाहिं ॥(10)

Artist - ब्र.श्री रवीन्द्र जी आत्मन्

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