Since King Shrenik was a kshayik Samyakdrishti then what could be the possible reason for which he committed suicide?
चारित्र मोहनीय कर्म के उदय से जब वेदना सही नहीं जाती तो आत्महत्या का भाव ज्ञानी को भी आ सकता है राजा श्रेणिक को अपने बेटे कुणिक जो उन्हें बहुत ज्यादा यातना दे रहा था ,उसे अपनी ओर आता देख कर उन्हें लगा कि पता नहीं अब यह किस प्रकार से यातना देगा मुझसे सहन नहीं होगा तो उन्हें अपना सर पटक कर आत्महत्या कर ली
इसे हम ऐसा भी कह सकते हैं कि उनका गति बन्ध हो गया था अतः 'जैसी गति वैसी मति,
किन्तु श्रद्वान में तो वस्तु स्वरूप का निर्णय पक्का था कि मैं तो ज्ञानानन्द स्वभावी हूं, कर्म का उदय कर्म में हैं ,पुत्र मेरे सुख दुख का कर्त्ताधर्ता नहीं
I didn’t know about him, but by the time I got to the end of this I was deep in mourning. What a sorrowful sad and tremendous loss of a man…
ब्र० कल्पना बहनजी ने धवल पुस्तक एक के प्रवचन नं० 7 में बताया है कि राजा श्रेणिक ने आत्महत्या नहीं की वह एक दुर्घटना थी
यहाॅ एक और परिस्थिति घटित हो सकती है कि- राजा श्रेणिक पुत्र से बचने को कुछ अकुलाए और असावधानी से तलवार की धार पर गिर गये। - इससे इस प्रसंग में आत्मघात का दोष नहीं आता।
दूसरी बात यह भी है कि - यहाँ तो अव्रती की बात है जबकि- भगवती आराधना में तो कई कथायें उद्धृत है जिनमें मुनिराजों तथा आचार्यों तक ने आत्मघात किया है - यह भी एक अपबाध मार्ग है।