Who are taran panthi and taran swami
श्री तारण स्वामी जी का ऐसा जीवन परिचय प्राप्त होता है।
- जन्म = शुभमिति अगहन सुदी सप्तमी विक्रम *संवत 1505 (ईसवी सन्1448)
- स्थान = पुष्पावती में बिलहरी जिला कटनी (म• प्र•)
- पिता = श्री गढ़ाशाह जी
- माता =श्रीमती वीरश्री देवी जी
- बाल्यावस्था = श्री पुष्पावती *बिलहरी,सेमलखेडी,सिरोंज,चंदेरी आप बचपन से ही अत्यंत प्रज्ञावान और वैराग्यवान थे ।
- शिक्षा = शिक्षा चंदेरी में भट्टारक देवेन्द्र कीर्ति द्वारा।
- 11 वर्ष की अवस्था में सम्यक् दर्शन
- 21 वर्ष की आयु में अखण्ड बाल बह्मचार्य व्रत
- 30 वर्ष की युवावस्था में सप्तम ब्रह्मचार्य प्रतिमा का संकल्प।
- आत्म चिंतन-सेमरखेडी के निकट वन स्थली में अध्यन चिंतन मनन एवं आत्म आराधना (गुफाओं में) आत्मा का ध्यान
- मुनि दीक्षा =60वर्ष की आयु में( मिति अगहन सुदी सप्तमी विक्रम संवत् 1565)
- शुभ संदेश= तू स्वयं भगवान है।
- विशेष=108 आचार्य तारण स्वामी मुनि पद पर 6 वर्ष 5माह 15 दिन आप दूसरे अवधिज्ञानी एवं क्षायिक सम्यक्त्व के धारी व सर्वाथ सिद्धी गये।*विश्वरत्न परमपूज्य आचार्य भगवन्त तारण तरण देव के विशाल श्रीसंघ में 7 मुनिराज, 36आर्यिकाऐं,60व्रती श्रावक,231 ब्रह्मचारिणी बहिनें,एवं 43,45,331 शिष्य थे।
- आप 151 मंडलों के आचार्य थे ।
शास्त्र रचना
- विचार मत
- श्री मालारोहण जी (32 गाथा)
- श्री पंडित पूजा जी(32 गाथा)
- श्री कमल बत्तीसी जी(32 गाथा)
- आचार मत
- श्री श्रावकाचार जी(462 गाथा)
- सार मत
- श्री न्यानसमुच्चयसार जी (908 गाथा)
- श्री उपदेशशुद्ध सार जी(589 गाथा)
- श्री त्रिभंगीसार जी(71 गाथा)
- ममल मत
- श्री चौबीसठाणा जी (5 अध्याय)
- श्री भय षिपनिक ममलपाहुङ जी (164 फूलना 3200 गाथा)
- केवल मत
- श्री षातिका विसेष जी (104 सूत्र )
- श्री सिद्ध सुभाव जी (20 सूत्र )
- श्री सुन्न सुभाव जी (32 सूत्र )
- श्री छद्मस्थ वाणी जी (12अधिकार में 565 सूत्र) *श्री नाममाला जी (43,45,331 शिष्यों की संख्या )
- इस प्रकार पाँच मतों में 14 ग्रंथो की रचना की।
- आचार्य तारण तरण देव के तीर्थ स्थल जन्म स्थल *श्रीनिसईजी पुष्पावती बिलहरी जिला कटनी (म•प्र•)
- दीक्षा स्थल श्री निसईजी सेमरखेडी जी सिरोंज जिला विदिशा (म•प्र•)
- बिहार स्थल श्री निसई सूखा जी पथारिया जिला दमोह(म•प्र•)
- समाधि स्थल श्री निसईजी मल्हारगढ मुंगावली जिला अशोकनगर (म•प्र•)
- समाधि = ज्येष्ठ वदी छठ विक्रम संवत 1572 (ईसवी सन् 1515 ) में सम्यक् समाधि पूर्वक देह त्याग किया।
- श्री निसई जी मल्हारगढ़ (मुंगावली)जिला - अशोकनगर म•प्र• में किया ।
- तदि स्वार्थ सिद्धि उत्पन्न
- आयु = 66 वर्ष, 5 माह,15 दिन रही।
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Thanks for the details,
पर पंचम काल में क्षायिक सम्यक्त्व और सर्वार्थ सिद्धि गमन तो संभव नहीं है
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जी, सत्य है,
लेकिन उनकी मान्यता/कथाओं में ऐसा ही है, और वैसा ही मैंने यहाँ प्रस्तुत किया है।
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