राग vs रति, शोक vs खेद

18 दोषो में राग और रति को अलग अलग क्यों लिया है जबकि दोनों का अर्थ इस्ट लगना ही होता है | ऐसे ही शोक और खेद (व्याकुलता) दोनों का अर्थ आकुलता ही होगा फिर अलग क्यों लिया है |
18 दोष :
भूख प्यास जन्म जरा मृत्यु रोग भय शोक चिंता खेद
मद मोह राग द्वेष रति
निद्रा आश्चर्य पसीना

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राग व्यापक है, रति व्याप्य है अर्थात राग का विस्तार बहुत है उसके अंदर रति आती है।

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