उठो रे सुज्ञानी जीव | utho re sugyani jeev

उठो रे सुज्ञानी जीव, जिनगुण गाओ रे-॥

निशि तो नसाई गई भानु को उद्योत भयो-२
ध्यान को लगाओ प्यारे नींद को भगाओ रे ॥ उठो रे सुज्ञानी…॥१॥

भववन चौरासी बीच, भ्रमे तो फिरत नीच-२
मोहजाल फन्द परयो, जन्म-मृत्यु पायो रे ॥ उठो रे सुज्ञानी…॥२॥

आरज पृथ्वी में आय, उत्तम जन्म पाये-२
श्रावक कुल को लहाये, मुक्ति क्यों न जाओ रे॥ उठो रे सुज्ञानी… ॥३॥

विषयनि राचि-राचि, बहुविधि पाप साचि-२
नरकनि जायके, अनेक दुःख पायो रे ॥ उठो रे सुज्ञानी. ॥४॥

पर को मिलाप त्यागि, आतम के जाप लागि-२
सुबुद्धि बताये गुरु, ज्ञान क्यों न लाओ रे॥ उठो रे सुज्ञानी. …॥५॥

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