त्याग मोह सम्यक् प्रगटावें । Tyag Moh Samyak (5 Vrat)

पांच व्रत

त्याग मोह सम्यक् प्रगटावें, ये संकल्प हमारा है।

हिंसा छोड़, अहिंसा पालें, यह कर्तव्य हमारा है ।।1।।

सत्य निष्ठ हो रहें प्रमाणिक यह व्यवहार हमारा है।

चोरी छोड़ अचौर्य सु पालें यह आचार हमारा है ।।2।।

विषय-भोग तज ब्रह्मचर्य धारें, ये ही हमको प्यारा है ।

परिग्रह तज संतोषी रहना, यह कर्तव्य हमारा है ।।3।।

रचयिता-: बा.ब्र.श्री रवींद्र जी ‘आत्मन्’
Source: बाल काव्य तरंगिणी

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