जन्म कल्याणक भजन जैन भजन

नाद शंख की होवे, घंट नाद जब होवे,
ढोल नगाड़े बाजें, भेरी धुन गूंजाए।
जन्मे तीन लोक के नाथ, जन्मे तिहुंजग तारणहार।।

चार गति के जीव सुखी, इंद्रासन कंपित आज,
सात हाथ आगे जा सारे, देव करें नत भाल।
अतिशय पंच दिखे जगती को, लोग सभी खुशहाल।।1।।

शचि पधारी प्रभु को लाई, गर्व नारी पर्याय,
पुनः पुनः देखे प्रभुजी को, सम्यक दर्शन पाए।
नेत्र हजार बनाके इंद्र, प्रभु का रूप निहार।।2।।

पांडुक वन पर गए इंद्र ले, प्रभु अभिषेक कराने,
छीरोदधि तक इंद्र खड़े, कलशा हाथों में साजे।
जन्माभिषेक महोत्सव किन्हो, धन्य धन्य जयकार ।।3।।

नायक अम्बर