आइए मंदिर जी में प्रातः प्रक्षाल आदि की क्रिया से लेकर पूजन सामग्री तैयार करने तक और फिर प्रयोग में लिए गए बर्तन आदि वस्तुओं की पुनः शुद्धि के लिए प्रयोग किए जाने वाले नीर/जल को छानने की विधि प्रासुक करने की विधि को जानकर गम्भीरता से समझें
शोध भोजन की तैयारी के लिए भी जो जल प्रयोग में लिया जाता है वह इसी विधि छानकर प्रासुक करना योग्य है… और उन सबसे महत्वपूर्ण है जीवानी… जिसके के हुए बिना जल को छानने का कोई महत्व ही नहीं है… क्योंकी जल छानने का मूल प्रयोजनभूत उद्देश्य ही उन जीवों की रक्षा का था ना कि सिर्फ साफ़ जल को इकट्ठा करने का… हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे राग की पूर्ति में अन्य जीवों की प्राण की हानी ना हो पाए या फिर जिस भी तरह से उसको मर्यादित किया जा सके उपयोग के राग में व्यस्त होने के काल में उसको किया जाए…
इस हिंसा का सम्पूर्ण अभाव तो सिर्फ राग के अभाव द्वारा ही सम्भव है… जो कि निज वीतराग स्वभाव के अवलंबन द्वारा उसी मे लीनता से ही सम्भव है क्योंकि वास्तव में राग के काल में राग में उपयोग व्यस्त करने से हमारे स्वभाव की ही हिंसा मूल रूप से हो रही थी जिसके कारण हम अन्य जीवों को भी कष्ट दे रहे थे…
तो आइए इस वीडियो के माध्यम से हम सब अस्थिरता के काल में हिंसा से कैसे बचें इसको जानते हैं