गर्भ कल्याणक
आनंद में उत्साहे, माता अति हर्षाए।
होवे अचरज स्वप्न माहीं, अलौकिक शक्ति आए।।
गर्भ वास होवे तब देखा,माएं अति अकुलातीं।
पर तुमरे यह गर्भ कौन जो , तुम इतनी हर्षाती।।
आएं देवियां सेव करें, माता का रूप निहारे ।
माता चिंत्वे अनुभूति में,आत्म स्वरूप निहारे।।
रत्न वृष्टि हो पूर्व मास छः, जन जयकार लगाएं।
तीनलोक मणि पूज्य जिनेश्वर मात गर्भ में आए।।