मंगल गाओ, कलश सजाओ

मंगल गाओ, कलश सजाओ, आज हमारे प्रभु घर आयेंगे।

ओ री सखी मंगल गाओ जी, परिणति निज सजाओ जी,
आज आएंगे त्रिभुवन के स्वामी।
सब मिल आज आओजी, प्रभु कल्याण मनाओ जी।
निज कल्याणक की शुभ घड़ी आई।
सुर बालाएं नृत्य रचाएं, आज हमारे प्रभु घर आयेंगे।।

प्रभु गर्भ आखिरी लीना, जनम मरण क्षय कीना।
उस पल नरकों में भी शांति छाई।
प्रगटित ज्ञान रवि हुआ, प्रमुदित भवि कमल खिला
प्रभु यश ध्वनि नभ मंडल में गुंजाई
समकित रतन से, निज को सजाओ, आज हमारे प्रभु घर आयेंगे।

दुंदुभी गगन में बाजे अनहद नाद गुंजाए
अंतरवीणा की ध्वनि छलकाई।
तोरणद्वार सज गए, रंग भक्ति के चढ़ गए
कण कण हर्षे हैं खुशहाली छाई।
विरदावली प्रभु, सब मिल गाओ, आज हमारे प्रभु घर आएंगे।
मंगल गाओ, कलश सजाओ, आज हमारे प्रभु घर आयेंगे।