अंकुरित बीज का सेवन अभक्ष्य क्यों ?
आगम के अनुसार अंकुरित बीज के सेवन में बहुत से एकेंद्रिय
जीवों का घात होता है (बहुघात)
और अगर विचार किया जाए तो इसका प्रमाण हमारी आखों के सामने है ,कई जिज्ञासु लोगों नें तो इसपर गौर भी किया होगा ।
आगम के अनुसार कंदमूल अथवा किसी भी प्रकार की
पेड़-पौधौं की जड़ का सेवन करना अभक्ष्य है ।
जब बीज अंकुरित होता है तब उसमें सबसे पहले जड़ की ही उत्पत्ति होती है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सुरुआती समय के लिए बीज में ही पर्याप्त मात्रा में पौधे को पोषण देने के लिए पोषक तत्व मौजूद होते हैं ।
परंतु वे सीमित होते हैं इसलिए अंकुरण (germination)
की प्रकिया में सर्व प्रथम जड़ ही उगती है जिससे आगे के लिए जरूरी पोषक तत्वों को जमीन में से अवशोषित किया जा सके फिर बाद में अन्य अन्य हिस्से पनपते हैं ।
ये तो हम जानते ही हैं कि अंकुरण के बाद बीज हरितकाय की श्रेणी में आ जाता है तो उसमें हरितकाय के सेवन का दोष तो है ही ,साथ ही साथ जड़ सहित उसका सेवन करने से और भी भारी दोष आता है ।
चूंकी उस अंकुरित बीज का सेवन करना जड़ का भी सेवन करना है इसलिए हमें उसमें बहुघात का दोष आता है ।
इसलिए उसका सेवन अभक्ष्य है ।