जो जाने अरिहंत को

जो जाने अरिहंत को
सो जाने निज रूप
मोह विलय को प्राप्त हो
होवै सम्यक रूप

मोह कर्म क्षय प्रगट कर
सम्यक दर्शन ज्ञान
फिर चारित पथ पर चलै
सो पावै निर्वाण